Wednesday, October 29, 2014

काला धन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी 627 नामों की लिस्ट

केंद्र सरकार ने स्विस बैंक में अकाउंट रखने वाले 627 भारतीयों के नाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिए हैं। चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र द्वारा पेश की गई सूची के सीलबंद लिफाफे को नहीं खोला और कहा कि इसे केवल विशेष जांच दल (एसआईटी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ही खोलें। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि एसआईटी नवंबर के अंत तक स्टेटस रिपोर्ट दे और 31 मार्च 2015 तक इन खातों की जांच पूरी कर करे।

सीलबंद लिफाफे में तीन दस्तावेज हैं, जिसमें सरकार का फ्रांसीसी सरकार के साथ हुआ पत्र व्यवहार, नामों की सूची और स्टेटस रिपोर्ट शामिल हैं। बेंच के सामने दस्तावेज पेश करते हुए अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि खाताधारकों के बारे में ब्योरा वर्ष 2006 का है, जिसे फ्रांसीसी सरकार ने वर्ष 2011 में केंद्र सरकार को भेजा था। उन्होंने बताया कि जिनीवा में एचएसबीसी बैंक से आंकड़े को चुरा लिया गया था, जो बाद में फ्रांस पहुंच गए और वहां से सरकार को सूचना मिली।
इससे पहले सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को तीन खातेदारों के नाम बताए थे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार विदेशी बैंकों के खाताधारकों की सूची सौंपने को राजी हो गई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि सभी खाताधारकों के नाम 27 जून को एसआईटी को दे दिए गए थे, अब उसे सुप्रीम कोर्ट को भी सौंप दिया जाएगा।

अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत की कार्यवाही की जानकारी देते हुए कहा, 'सरकार ने एचएसबीसी के सारे अकाउंट की लिस्ट सौंप दी है। इसमें 627 या 628 नाम हैं। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद लिफाफे को नहीं खोलने का फैसला किया और कहा कि मामले की गोपनीयता बरकरार रखी जानी चाहिए। एसआईटी के पास आज ही भेजने का निर्देश देते हुए कहा कि सिर्फ जांच दल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ही खाताधारकों के नाम वाले लिफाफे खोल सकते हैं।'

जब से रोहतगी से पूछा गया कि क्या लिस्ट में नेताओं के भी नाम हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं इसे नहीं देखा है इसलिए बता नहीं सकता हूं। अटर्नी जनरल ने इतना जरूर बताया कि लिस्ट में करीब आधे से ज्यादा नाम भारतीय नागरिकों के हैं, जबकि बाकी प्रवासी भारतीय हैं जिन पर भारतीय आयकर कानून लागू नहीं होता।

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के सामने हमने दूसरे देशों से हुईं संधियों का जिक्र किया, इस पर निर्देश दिया गया कि सरकार अपनी समस्या एसआईटी के सामने रखे। अटर्नी जनरल ने कहा कि हमने कोर्ट को कल भी और आज भी बताया कि एसआईटी को सरकार 27 जून को यह लिस्ट सौंप चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिया कि वह 30 नवंबर तक पूरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।

सरकार की ओर से दिए गए लिफाफे में तीन तरह के दस्तावेज हैं। खाताधारकों के नाम के अलावा इस मसले पर फ्रांस से हुए पत्र व्यवहार और जांच की अब तक की स्टेटस रिपोर्ट भी शामिल हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इसमें साल 2006 तक की एंट्री है। इसकी वजह यह है कि स्विस अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ये इनपुट्स चोरी की जानकारी के आधार पर हासिल किए गए हैं।

एचएसबीसी से यह लिस्ट उसके किसी पूर्व कर्मचारी ने साल 2006 चुरा ली थी और भारत को यह फ्रांस से साल 2011 में मिली। इस लिस्ट में चार तरह की सूचनाएं हैं- नाम, पता, अकाउंट नंबर और खाते में जमा राशि। नाम और अड्रेस के मिलान के बाद 136 लोगों या प्रतिष्ठानों ने अकाउंट होने की बात मान ली है।

हालांकि, इनमें से कई का कहना है कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन वे टैक्स और जुर्माना चुकाने को तैयार हैं। 418 में से 12 अड्रेस कोलकाता के हैं, लेकिन छह ने ही माना है कि उनका अकाउंट है। खाताधारकों की लिस्ट में सबसे ज्यादा रकम वाला अकाउंट 1.8 करोड़ डॉलर वाला है, जो देश के दो नामी उद्योगपतियों के नाम से है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा नाम मेहता और पटेल सरनेम के साथ हैं।